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श्री महिषासुर मर्दिनी स्तोत्रम् (अयिगिरि नंदिनि)
धिजाग्रं धिजाग्रं त्रोटय त्रोटय दीप्तं कुरु कुरु स्वाहा।।
ॐ ग्लौं हुं क्लीं जूं सः ज्वालय ज्वालय ज्वल ज्वल प्रज्वल प्रज्वल
देवी माहात्म्यं दुर्गा सप्तशति षष्ठोऽध्यायः
देवी माहात्म्यं दुर्गा सप्तशति द्वादशोऽध्यायः
चामुण्डा चण्डघाती च यैकारी वरदायिनी ।
श्री दुर्गा अष्टोत्तर शत नाम स्तोत्रम्
देवी माहात्म्यं दुर्गा सप्तशति पंचमोऽध्यायः
यस्तु कुंजिकया देविहीनां सप्तशतीं पठेत्।
श्री वासवी कन्यका परमेश्वरी अष्टोत्तर शत नामावलि
कुंजिकापाठमात्रेण दुर्गापाठफलं लभेत् ।
गोपनीयं प्रयत्नेन स्वयोनिरिव पार्वति।
देवी माहात्म्यं दुर्गा सप्तशति एकादशोऽध्यायः
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